काम्बोज महासभा द्वारा 1974 में शहीद ऊधम सिंह के अवशेष को भारत लाया गया


काम्बोज महासभा द्वारा 1974 में शहीद ऊधम सिंह के अवशेष को भारत लाया गया

अखिल भारतीय कम्बोज महासभा के जोरदार प्रयासों से जुलाई 1974 में शहीद ऊधम सिंह के अवशेष को लंदन से उनके पैतृक स्थान सुनाम में लाया गया था।

1960 के दशक के मध्य में अखिल भारतीय कम्बोज महासभा द्वारा शहीद ऊधम सिंह के नाम को सार्वजनिक व व्यापक रूप से प्रसारित किया जाने लगा था। उस समय नानक चंद कम्बोज ने शहीद ऊधम सिंह के अवशेषों को वापस लाने के बारे में कम्बोज भाईचारे की कई बैठकें पंजाब में आयोजित कीं। उन्होंने राइजिंग काम्बोज एसोसिएशन, ग्रीन चौधरी एसोसिएशन और नवयुवक काम्बोज सभा का गठन किया। नानक चन्द जी काम्बोज समाज को संगठित करने के लिये व शहीद ऊधम सिंह के अवशेषों को वापस लाने के लिये 1969 में टोम्बा मेला के अवसर पर अखिल भारतीय काम्बोज महासभा का गठन दिल्ली में कुडसिया घाट, यमुना नदी, तिब्बतियन मंदिर के पास किया था। उन्होंने 10 फरवरी 1974 को अखिल भारतीय काम्बोज को फर्मों और सोसायटी दिल्ली के रजिस्ट्रार के साथ पंजीकृत कराया। उनके अथक प्रयासों से वर्ष 1970 में शहीद ऊधम सिंह काम्बोज समारक ट्रस्ट (दिल्ली) का गठन हुआ।

1970 के दशक में अखिल भारतीय कम्बोज महासभा ने लंदन से शहीद ऊधम सिंह की अस्थियां वापस लाने के बारे में चर्चा करने के लिए हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश राज्य में कई बैठकें आयोजित की थी। अखिल भारतीय कम्बोज महासभा के विशेष प्रतिनिधिमंडल ने पंजाब और केंद्र सरकार दोनों के कैबिनेट मंत्रियों से मुलाकात की थी।

नानक चन्द जी कम्बोज

नानक चन्द जी कम्बोज

वर्ष 1974 में अखिल भारतीय कम्बोज महासभा के सेठ करता राम जी राष्ट्रीय अध्यक्ष व नानक चन्द जी राष्ट्रीय महासचिव थे। राष्ट्रीय महासचिव के नाते नानक चन्द जी ने लंदन से शहीद ऊधम सिंह की अस्थियों को जन्म स्थान सुनाम लाने के लिये पंजाब राज्य सरकार और केंद्र सरकार के साथ पत्रों के माध्यम से संवाद किया। तब उन्होंने पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक की और पंजाब के तत्कालीन सीएम ज्ञानी जैल सिंह से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने भारत के पीएम इंदिरा गांधी से भी मुलाकात की। नानक चंद जी ने शहीद ऊधम सिंह की दूर की चचेरी बहन आस कौर से संपर्क किया और ब्रिटिश सरकार से अवशेष प्राप्त करने के लिए वकीलों से दस्तावेजों की एक फ़ाइल बनाई।

पंजाब सरकार और केंद्रीय शासन दोनों अखिल भारतीय कम्बोज महासभा के शहीद ऊधम सिंह के अवशेष को लंदन से लाने के प्रस्ताव पर सहमत हुए गये थे। लेकिन पंजाब सरकार ने बताया कि वह सरकार के प्रतिनिधिमंडल को लंदन भेजेंगे। उस समय साधु सिंह थिंद पंजाब सरकार में विधायक थे और वह प्रसिद्ध कम्यूनिटी वर्कर थे। अखिल भारतीय कम्बोज महासभा ने सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने का निर्णय लिया।

साधु सिंह जी थिंद (कम्बोज)

साधु सिंह जी थिंद (कम्बोज)

साधु सिंह थिंद की अगुवाई में सरकार और अखिल भारतीय काम्बोज महासभा की और से एक शिष्ठ मंडल (delegation) को लंदन भेजा गया। 19 जुलाई 1974 को दिल्ली हवाई अड्डे पर अखिल भारतीय काम्बोज महासभा व पजाब एवम भरत सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने शहीद ऊधम सिंह की अस्थियों कास्केट को प्राप्त किया। अखिल भारतीय काम्बोज महासभा की तरफ़ से सेठ करता राम जी, नानक चन्द जी, सेठ पन्ना लाल जी, हरदयाल सिंन्ह कमल, बनवारी लाल जी, डा. जिया लाल जी, सरोज काम्बोज जी (नानक चन्द जी की पत्नी) व महाशय किशोरीलाल काम्बोज कास्केट को प्राप्त करने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर मोज्जुद थे। कपूरथला हाउस, नई दिल्ली में अखिल भारतीय कम्बोज महासभा द्वारा पंजाब सरकार के कैबिनेट के साथ संयुक्त बैठक में अवशेष को रखने की व्यवस्था की गई। भारत की प्रधान मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, शंकर दयाल शर्मा व पंजाब के मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने शहीद ऊधम सिंह को कपूरथला हाउस में श्रद्धांजलि दी और श्रध्दा सुमन अर्पित किये।

श्रीमती इंदिरा गांधी

श्रीमती इंदिरा गांधी

शंकर दयाल शर्मा

शंकर दयाल शर्मा

ज्ञानी जैल सिंह

ज्ञानी जैल सिंह

शहीद ऊधम सिंह की अस्थियों के कास्केट के साथ दिल्ली से सुनाम तक एक जुलुस निकाल गया था ताकि सभी लोग उनके दर्शन कर सके। अखिल भारतीय काम्बोज महासभा, दिल्ली के पदाधिकारियों की दो कारें और एक बस, दिल्ली से सुनाम तक जुलूस के साथ गई। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर बहुत विशाल जुलूसों में शानदार तरीके से स्वागत किया गया।

31 जुलाई, 1974 को सुनाम में शहीद ऊधम सिंह की अस्थियों का अंतिम संस्कार किया गया। सस्कार के बाद उनकी राख को चार हिस्सों में बांटा गया था:

  • 2 अगस्त, 1974 को पंजाब के कीरतपुर साहिब में सतलज नदी के पानी में राख का विसर्जन किया गया।
  • 3 अगस्त, 1974 को यूपी में हर-की-पौड़ी हरिद्वार में गंगा नदी के पानी में राख का विसर्जन किया गया।
  • 21 अगस्त, 1974 को पंजाब के रोजा शरीफ सरहिंद में दफनाया गया।
  • राख के चौथे हिस्से को सम्भाल के रखा गया। राख के चौथे हिस्से को जलियांवाला बाग में एक कलश के अंदर रखा गया ताकि लोग उनके दर्शन कर सकें।
जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की राख का कलश

जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की राख का कलश

अखिल भारतीय कम्बोज महासभा दिल्ली के पदाधिकारियों की दो कारें और एक बस, दिल्ली से सुनाम तक जुलूस के साथ रही और उसके बाद सुनाम से हरिद्वार तक जुलूस के साथ रही। जुलूस के दौरान राष्ट्रीय हीरो शहीद ऊधम सिंह के जीवन पर हज़ारों पुस्तिकाएँ व कैलेंडर को लोगों को वितरित किया गया ताकि लोग उनके जीवन से प्रेरना ले सके।

अखिल भारतीय कम्बोज महासभा के जोरदार प्रयासों से शहीद ऊधम सिंह के अवशेष को लंदन से उनके पैतृक स्थान सुनाम में लाया गया था। शहीद ऊधम सिंह की अंतिम इच्छा के अनुसार उनके जन्म स्थान सुनाम में 31 जुलाई, 1974 को उनका अंतिम संस्कार किया गया।।

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Deepak Kamboj

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Deepak Kamboj started and conceptualized the powerful interactive platform - KambojSociety.com in September 2002, which today is the biggest and most popular online community portal for Kambojas in the world. He was inspired by the social and community work carried out by his father Shri Nanak Chand Kamboj. He has done research on the history, social aspects, political growth and economical situation of the Kamboj community. Deepak Kamboj is an author of various articles about the history of Kamboj community and people.