दुनिया में हर जगह पर, हर देश में किसी ना किसी रूप में भगवान की पूजा की जाती। कोई चर्च में जाता है तो कोई मशीद में जाता है, कोई मंदिर में जाता है तो कोई गुरुद्वारा में जाता है। सबका पूजा करने का तरीका अलग होता है लेकिन सभी का उद्देश एक ही रहता है। लेकिन कुछ जगह पर कुछ मंदिर ऐसे होते जो बहुत प्रसिद्ध होने की वजह से लोग बड़ी संख्या में जाते है।
एक ऐसे ही मंदिर के बारे में हम आपको बतानेवाले है। वो हैं अंगकोर वाट मंदिर – Angkor Wat Temple यह मंदिर कम्बोडिया में स्थित है और यह दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है। साथ ही इस मंदिर से जुडी बहुत सारी रोचक कहानिया भी है। इन सभी कहानियो के बारे में हम आपको जरुर बताएँगे इसीलिए आप निचे दी गयी सारी जानकारी को विस्तार से पढ़े।
दुनिया के दो सबसे प्राचीन और सबसे बड़े मंदिर दक्षिण पूर्व एशिया में मौजूद है उसमेसे पहला मंदिर बर्मा के बागन में है और दूसरा कम्बोडिया का Angkor Wat Temple – अंगकोर वाट मंदिर। यह मंदिर कम्बोडिया देश में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन सन 802 से 1220 के दौरान खमेर वंश के समय में किया गया था।
शुरुआत में इस मंदिर को खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु के लिए बनवाया गया था लेकिन बाद में 12 वी सदी में इस मंदिर में भगवान गौतम बुद्ध की पूजा की जाने लगी थी।
यहापर जो पहला राजा था वह शैव पंथ के अनुयायी था लेकिन उसके बाद में जो राजा बना वह भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। जब से यह मंदिर बना है तबसे यह मंदिर उस जगह का प्रमुख है।
अंगकोर वाट मंदिर की वास्तुकला
इस मंदिर को खमेर वास्तुकला में बनाया गया था। यह मंदिर 162।6 हेक्टर में फैला हुआ दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर है। कम्बोडिया के राष्ट्रीय ध्वज पर भी इस मंदिर को दर्शाया जाता है और यही इस देश का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र है।
इस मंदिर को दो तरह के हिस्से मे बनाया गया है पहला जो भाग है उसे पर्वत मंदिर कहते है और दूसरा जो हिस्सा है उसे ग्यालरी कहा जाता है। मेरु पर्वत को दर्शाने के लिए इस मंदिर को शुरुवात में बनवाया गया था।
हिन्दू धर्म में कहा जाता है की इस पर्वत पर सभी हिन्दू धर्म के देवी और देवताओ का निवास रहता है। यह मंदिर पूरी तरह से एक खंदक के बनाया गया है जो 5 किमी (3मी) लम्बा है और इसकी बाहरी दीवार 3।6 किमी (2.2मी) की है। इसके अलावा यहापर तीन बड़ी बड़ी ग्यालरी भी बनायीं गई है। इस मंदिर के बीचो बिच एक स्तंभ का पंचवृक्षी भी दिखाई देता है।
कम्बोडिया के जितने भी मंदिर बनाये गए है वे सभी पूर्व दिशा की और बनाये गए है लेकिन यह अंगकोर वाट मंदिर सबसे अलग है और इसे पश्चिम की दिशा में बनाया गया है। कई सारे विद्वानों की इस बात को लेकर दो राय है।
अंगकोर में आज जितने भी स्मारक नजर आते है उनमे सौ से भी अधिक पत्थर से बनाये हुए मंदिर दिखाई देते है साथ ही यहापर कई सारे स्मारक, इमारतो के बहुत पुराने अवशेष दिखाई देते है जिसमे कई समय के साथ गायब भी हो चुके है।
इस मंदिर की वास्तुकला की इसकी काफी प्रशंसा की जाती है साथ ही नक्काशी से किया हुआ काम और मंदिर की दीवारों पर देवी और देवताओ की तस्वीरों के कारण यह मंदिर बहुत ही सुन्दर और आकर्षक दिखाई देता है।
अंगकोर वाट मंदिर के बारे में कुछ खास बाते
आपने कभी दो धर्मो के देवताओ के मंदिर के बारेमें सुना है? आपने कभी कभी इस तरह की बात सुनी नहीं होगी। लेकिन इस तरह एक बात कम्बोडिया नाम के देश में देखने को मिलती है। यहापर अंगकोरवत नाम का एक मंदिर है जहा पहले हिन्दू धर्म के देवता की पूजा की जाती थी लेकिन बाद में इसे बौद्ध धर्म का मंदिर बनाया गया।
दुनिया के 50 प्रतिशत यात्री इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते है। इस देश के राष्ट्रीय ध्वज पर भी इस मंदिर को दर्शाया गया है। अफगानिस्तान के राष्ट्रीय ध्वज पर भी इस मंदिर को दिखाया गया है।
खमेर वास्तुकला में बनाया गया यह अंगकोर वाट मंदिर इस वास्तुकला का सर्वश्रेष्ट उदाहरण है।
हिन्दू धर्म के देवता ब्रहमदेव का निवास्थान मेरु पर्वत को दर्शाने के लिए इस मंदिर को बनाया गया था।
इस मंदिर के परिसर में सभी मंदिर पूर्व की दिशा में बनाये गए है लेकिन इस मंदिर को पश्चिम की दिशा में बनाया गया है ताकी शाम के समय डूबते हुए सूरज की किरने मंदिर पर पड़ती है जिसकी वजह से मंदिर और भी सुन्दर दीखता है।
16 वी सदी तक इस मंदिर को कोई भी इस अंगकोरवत नाम से नहीं बुलाता था क्यों की इससे पहले इसे पिस्नुलोक नाम से बुलाया जाता था। यह नाम खमेर राजा सूर्यवर्मन 2 का अधिकारिक नाम था और इसी राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
हिन्दू और बौद्ध धर्म के लिए इस मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका देखकर सन 1992 मे यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
अधिक से अधिक यात्रियों को इस मंदिर के बारे में सारी जानकारी ज्ञात है और यहाँ के जो अंगकोर थोम मंदिर और बयोन मंदिर एक जैसे ही दीखते है।
सूर्यवर्मन के पहले जितने भी राजा थे वे सभी भगवान शिव के भक्त थे और भगवान शिव ही उनकी प्रमुख देवता थी लेकिन सूर्यवर्मन 2 उन सभी पहले राजाओ से भिन्न थे और उन्होंने भगवान विष्णु के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
इस मंदिर की सभी दीवारों पर हिन्दू धर्म की बहुत सारी कहानिया लिखी गयी है। यहाँ की सभी कहानिया किस तरह हिन्दू धर्म के लिए इस मंदिर का निर्माण किया गया था दर्शाने का काम करती है।
हर साल 2 मिलियन से भी अधिक यात्री दर्शन करने के लिए आते है क्यों की इस तरह का मंदिर केवल इनकान और माया साम्राज्य में ही देखने को मिलता है।
यह मंदिर इतना सुन्दर दीखता है की कोई भी इस मंदिर को एक बार जरुर देखना चाहेगा। अगर मुझे इस मंदिर के बारे में अगर ज्यादा जानकारी नहीं और ऐसे में अगर इस मंदिर को देखा तो ऐसा लगता है की यह एक दुसरे ग्रह के लोगो का अंतरिक्ष यान नजर आता है जो उड़ता हुआ दिखाई देता है।
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