इतिहास जो हमे अग्रिम कार्यप्रणाली की प्रेरणा देता है +++++++++++++++++
जब से इतिहास का प्रारम्भ हुआ तब से भारत मे सतत आक्रमण होता रहा , बहुधा आक्रमण सैनिको एवं प्रजा / राजा की दुर्बलता के कारण होता रहा ।
++++++++++++++++ ईरान के हरवान वंश के संस्थापक राजा ‘कुरुश ‘ (ई,पू, 558-530 ) मे विशाल सेना सह भारत पर आक्रमण किया – शकस्थान तथा मकराना प्रदेश जीत लिया । गोरबंद तथा काबुल के उत्तरपुर्व स्थित पंचशीर नदियो का संगम पार करके कापिशनगर को लूट करके नष्ट कर दिया तत्पश्चात सिंध पर आक्रमण किया । वह उनका अति भारी पराजय हुआ , सिंध के वीरराजा ने उनकी समग्र सेना का नाश किया एक लाख की सेना मीसे मात्र सात (7) सैनिक ही बच पाये । कुरुश ईरान भागने मे सफल रहा । ( कुरुश राजा का संबंध कुरुवंश से था )
यदि वीरराजा ने भारत प्रवेश पूर्व ही उनकी सेना को नष्ट किया होता तो शेष भाग की दुर्दशा न होती
दुसरा कुरुश ऊर्फ महान कुरुश (हिंदी: कुरुश; अंग्रेज़ी: Cyrus The Great सायरस द ग्रेट ; पुरानी फारसी:
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